उर्वरक विभाग रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अधीन है। विभाग का समस्त प्रभार रसायन और उर्वरक मंत्री की निगरानी में होता है जिनकी सहायता के लिए दो राज्य मंत्री हैं। सचिव विभाग के प्रशासनिक प्रमुख हैं।
श्रीमती भारती सिवस्वामी सिहाग, उर्वरक विभाग के सचिव हैं। उनकी सहायता के लिए एक विशेष सचिव एवं वित्तीय सलाहकार तथा 3 संयुक्त सचिव हैं। आर्थिक सलाहकार संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी हैं जो विभाग को विभिन्न आर्थिक मुद्दों पर सलाह देते हैं।
उर्वरक विभाग का एक संबद्ध कार्यालय एफआईसीसी है।
उर्वरक उद्योग समन्वय समिति उर्वरक विभाग के तहत एक संबद्ध कार्यालय है जिसके अध्यक्ष कार्यकारी निदेशक हैं। प्रारंभ में एफआईसीसी का दिनांक 1.12.1977 को तत्कालीन प्रतिधारण मूल्य-सह-राजसहायता योजना (एनपीएस) को प्रशासित और संचालित करने के उद्देश्य से किया गया था। प्रतिधारण मूल्य योजना से उर्वरकों के स्वदेशी उत्पादन तथा खपत में वृद्धि हुई। आरपीएस के इकाई विशिष्ट दृष्टिकोण के स्थान पर दिनांक 1.4.2003 से नई मूल्य-निर्धारण योजना (आरपीएस) नामक एक समूह आधारित रियायत स्कीम लागू की गई थी ताकि व्यापक आंतरिक दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा प्राप्त की जा सके। उर्वरक उद्योग समन्वय समिति (एफआईसीसी), यूरिया संबंधी योजना को प्रशासित करने के लिए एफआईसीसी को नई मूल्य–निर्धारण योजना के अंतर्गत बनाए रखा गया है।
एफआईसीसी नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों का उत्पादन करने वाली इकाइयों के लिए माल-भाड़ा दरों सहित समूह रियायत दरों, खातों के अनुरक्षण और उर्वरक कंपनियों से राशि वसूलने और उन्हें भुगतान करने, लागत और अन्य तकनीकी कार्यों को करने तथा उत्पादन आंकड़ों को इकट्ठा करके विश्लेषण करने, लागत और अन्य जानकारी विकसित करने और आवधिक रूप से उसकी समीक्षा करने के लिए जिम्मेदार है।
एफआईसीसी में उर्वरक विभाग, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, कृषि और सहकारिता विभाग, व्यय विभाग, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव, टैरिफ आयोग के अध्यक्ष और यूरिया उद्योग के दो प्रतिनिधि शामिल हैं।