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कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको)

प्रस्‍तावना 

कृभको को बम्‍बई हाई/दक्षिण बसीन से प्राकृतिक गैस के आधार पर हजीरा में अमोनिया/यूरिया उर्वरक परियोजना को कार्यान्वि‍त करने के लिए 17.04.1980 को एक बहुराज्‍यीय कोऑपरेटिव सोसायटी के रूप में निगमित किया गया था। सोसायटी ने 1985 में अपना अमोनिया/यूरिया संयंत्र स्‍थापित किया था।

हजीरा परिसर में अमोनिया संयंत्र के दो स्‍ट्रीम तथा यूरिया संयंत्रों के चार स्‍ट्रीम हैं। यूरिया संयंत्रों की वार्षिक क्षमता 17.29 लाख मी.टन है। संयंत्र का पुनरुद्धार कार्यान्‍वयन के अंतिम चरण में है। पुनरुद्धार के बाद यूरिया और अमोनिया उत्‍पादन क्षमता बढ़कर क्रमश: 21.95 लाख मी.टन तथा 12.47 लाख मी.टन हो जाएगी।

कृभको ने 1995 में हजीरा में एक जैव-उर्वरक संयंत्र की भी स्‍थापना की है। इस इकाई की क्षमता को 1998 में 100 एमटीपीए से बढ़ाकर 250 एमटीपीए किया गया था। प्रत्‍येक 150 एमटीपीए की क्षमता वाली दो और जैव-उर्वरक इकाइयों की, पहली सितंबर 2003 में वाराणसी, उ.प्र. में तथा दूसरी मार्च 2004 में लांजा, महाराष्‍ट्र में की भी स्‍थापना की गई है।

दिनांक 31.03.2010 को सोसायटी की प्राधिकृत शेयर पूंजी 500 करोड़ रुपए है और प्रदत्‍त शेयर पूंजी 390.67 करोड़ रुपए है जिसमें से 188.90 करोड़ रुपए भारत सरकार द्वारा धारित हैं तथा शेष 201.77 करोड़ रुपए सहकारी समितियों द्वारा धारित हैं। दिनांक 31.03.2010 की स्‍थिति के अनुसार कुल सदस्‍यता 6546 थी।

वास्‍तविक निष्‍पादन 

उत्‍पादन कृभको 

इकाई 

2010-11 (दिसंबर 10 तक) 

2009-10 

2008-09 

अमोनिया

लाख मी.टन

8.90

11.10

10.85

यूरिया

लाख मी.टन

14.15

17.80

17.43

जैव-उर्वरक

मी.टन

804

953

865

क्षमता

 

 

 

 

अमोनिया

लाख मी.टन

10.03

10.03

10.03

यूरिया

लाख मी.टन

17.29

17.29

17.29

जैव-उर्वरक

मी.टन

550

550

550

क्षमता उपयोग %

 

 

 

 

अमोनिया

%

118.24

110.65

108.11

यूरिया

%

109.14

102.94

100.83

जैव-उर्वरक

%

195.00

173.25

157.3

ऊर्जा खपत

 

 

 

 

अमोनिया

जीकैल/मी.टन

8.301

8.276

8.208

यूरिया

जीकैल/मी.टन

5.955

5.932

5.933

 

वित्‍तीय निष्‍पादन 

विवरण 

इकाई 

2010-11 (दिसंबर 10 तक) 

2009-10 

2008-09 

कारोबार/प्रचालन आय

करोड़ रुपए

2596.14

2597.08

2559.12

लाभ - (पीबीडीआईटी)

 करोड़ रुपए

200.31

288.57

307.25

मूल्‍य ह्रास

करोड़ रुपए

22.42

30.62

27.53

ब्‍याज

 करोड़ रुपए

14.08

5.18

10.38

लाभ - (पीबीटी)

 करोड़ रुपए

163.81

252.77

269.34

कर

 करोड़ रुपए

39.18

24.60

19.21

कर उपरांत लाभ

 करोड़ रुपए

124.63

228.17

250.13

शेयर पूंजी

 करोड़ रुपए

390.28

390.67

390.67

रिजर्व और अधिशेष

 करोड़ रुपए

2469.88

2306.46

2158.68

निवल मूल्‍य

 करोड़ रुपए

2860.16

2697.13

2549.42

 

संयुक्‍त उद्यम 

1.    संयुक्‍त उद्यम ओमान इंडिया फर्टिलाइजर कंपनी, ओमान (ओमिफ्को) 

कृभको, इफ्को और ओमान तेल कंपनी, जिनकी शेयरधारिता क्रमश: 25% और 50% है, ने सुर, ओमान में एक विश्‍व स्‍तरीय उर्वरक संयंत्र लगाने के लिए सहयोग किया है। इस उर्वरक परिसर की वार्षिक क्षमता 16.52 लाख मी.टन दानेदार यूरिया और 11.9 लाख मी.टन अमोनिया है।

  • ओमिफ्को में उत्‍पादित यूरिया को भारत सरकार द्वारा खरीदा जा रहा है और इसके आधे उत्‍पाद का कृभको द्वारा विपणन किया जा रहा है। इसके अलावा, यह संयंत्र प्रतिवर्ष 2.5 लाख मी.टन अतिरिक्‍त अमोनिया का भी उत्‍पादन करता है जिसे भारत लाया जाना है।
  • वित्‍तीय वर्ष अप्रैल’ 2009 से मार्च’ 2010 के दौरान ओमिफ्को ने 14.11 लाख मी.टन दानेदार यूरिया का उत्‍पादन किया है।
  • वित्‍तीय वर्ष 2010-11 के दौरान नवंबर 2010 तक ओमिफ्को ने 14.11 लाख मी.टन दानेदार यूरिया का उत्‍पादन किया है।

 

2.    कृभको श्‍याम फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (केएसएफएल): 

कृभको श्‍याम फर्टिलाइजर्स लिमिटेड ने शाहजहांपुर, उ.प्र. में मैसर्स ओसवाल केमिकल्‍स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के अमोनिया-यूरिया उर्वरक परिसर का अधिग्रहण किया है, जिसमें 5.02 लाख मी.टन की वार्षिक क्षमता का एक स्‍ट्रीम वाला अमोनिया संयंत्र तथा 8.64 लाख की मी.टन संयुक्‍त वार्षिक क्षमता का दो स्‍ट्रीम वाला यूरिया संयंत्र शामिल है।

  • कृभको के पास 85% इक्विटी, प्रबंधन नियंत्रण तथा यूरिया और अन्‍य उत्‍पादों का संपूर्ण विपणन अधिकार हैं।
  • वित्‍तीय वर्ष 2009-10 के दौरान केएसएफएल ने अब तक का सर्वाधिक 9.73 लाख मी.टन यूरिया (113% क्षमता उपयोग) तथा 5.72 लाख मी.टन अमोनिया (114% क्षमता उपयोग) प्राप्‍त किया है।
  • वित्‍तीय वर्ष 2010-11 के दौरान नवंबर ’10 तक केएसए    फएल ने 6.95 लाख मी.टन यूरिया (121% क्षमता उपयोग) तथा 4.07 लाख मी.टन अमोनिया (122% क्षमता उपयोग) का उत्‍पादन किया है।
     

इक्विटी भागीदारी 

1.    गुजरात स्‍टेट एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड (जीएसईजी): 

गुजरात स्‍टेट एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड (जीएसईजी), गुजरात स्‍टेट पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (जीएसपीसी), गुजरात सरकार की अन्‍य कंपनियों, कृभको और गेल (इंडिया) लिमिटेड का एक संयुक्‍त उद्यम है। कृभको ने अभी तक 80.68 करोड़ रुपए (27.48%) का इक्विटी अंशदान दिया है । आगे 26.36 करोड़ रुपए का जल्‍दी ही और इक्विटी अंशदान किए जाने की संभावना है।

जीएसईजी मोरा, जिला सूरत, गुजरात में प्राकृतिक गैस पर आधारित 156 मेगावाट संयुक्‍त चक्रीय विद्युत संयंत्र का प्रचालन कर रही है।

वित्‍तीय वर्ष 2009-10 के दौरान संयंत्र ने 81.3% का समग्र संयंत्र लोड फेक्‍टर (पीएलएफ) प्राप्‍त किया है।

जीएसईजी 1160 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से अपने मौजूदा स्‍थल में 350 मेगावाट की क्षमता वाली संयुक्‍त चक्रीय गैस आधारित विस्‍तार परियोजना का कार्यान्‍वयन कर रही है। निर्माण कार्य चल रहा है और परियोजना के जनवरी 2011 में पूरा होने की संभावना है।

जीएसईजी ने वर्ष 2009-10 के दौरान 9.72 करोड़ रुपए का कर उपरांत अनंतिम लाभ अर्जित किया है और शेयर पूंजी पर 3% के लाभांश की घोषणा की है।

2.    नागार्जुन फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्‍स लिमिटेड (एनएफसीएल):

समिति की एनएफसीएल में 10.00 करोड़ रुपए की इक्विटी भागीदारी है जो एनएफसीएल की 465.16 करोड़ रुपए की प्रदत्‍त शेयर पूंजी का 2.15% है।

3.    इंडियन कोमोडिटी एक्‍सचेंज लिमिटेड (आईसीईएक्‍स)

कृभको ने उपर्युक्‍त कंपनियां समकक्ष 5% इक्विटी पण प्राप्‍त करने के लिए 19.09.2009 को आईबीएफएसएल, एमएमटीसी और आईसीईएक्‍स के साथ निवेशक शेयर अंशदान करार किया है। तदनुसार कृभको ने आईसीईएक्‍स में इक्विटी के रूप में 5.00 करोड़ रुपए का अंशदान किया है। भावी एक्‍सचेंज एक राष्‍ट्र स्‍तरीय बहु वस्‍तु एक्स्‍चेंज है और इसने अपना प्रचालन 27.11.2011 को शुरू कर दिया है।

कार्यान्‍वयनाधीन/विचारार्थ परियोजनाएं

1.    अमोनिया और यूरिया संयंत्र का पुनरुद्धार:

समिति यूरिया संयंत्र की अपनी वार्षिक क्षमता को 17.19 लाख मी.टन से बढ़ाकर 21.95 लाख मी.टन तक तथा अमोनिया संयंत्रों की क्षमता 10.03 लाख मी.टन से बढ़ाकर 12.47 लाख मी.टन करने के लिए अपने मौजूदा संयंत्र का पुनरुद्धार कर रही है। 27 जनवरी, 2010 को परियोजना के लिए अंतिम तिथि की घोषणा की गई है। परियोजना की समापन अवधि 32 महीने है तथा इसकी अनुमानित परियोजना लागत 1301 करोड़ रुपए है।

अमोनिया और यूरिया, दोनों का, बुनियादी इंजीनियरी कार्य पूरा हो चुका है। विस्‍तृत इंजीनियरी कार्य और खरीद प्रक्रिया चल रही है। प्रमुख उपकरणों की खरीद पूरी हो चुकी है और सभी दूरगामी मदों के आर्डर दिए जा चुके हैं। एमटीओ-2 के अनुसार पाइपिंग और फिटिंग मदों की खरीद के लिए आईटीबी जारी की जा रही है। खरीदी जानेवाली मदों की सुपुर्दगी साइट पर शुरू हो गई है।

यांत्रिक निर्माण कार्य भी चल रहा है और वैद्युत और इंस्‍ट्रूमेंटेशन निर्माण अनुबंध के आर्डर दे दिए गए हैं। इन दोनों के ठेकेदार जल्‍दी ही आपूर्ति करेंगे।

2.    कृभको इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लिमिटेड (केआरआईएल):

कृभको ने कृभको इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लिमिटेड (केआरआईएल) का निगमन किया है, जिसके लिए कृभको द्वारा 100% राजसहायता दी जा रही है तथा कंटेनर ट्रेनों का प्रचालन करने और आधारभूत ढांचा परियोजनाएं शुरू करने के लिए 500 करोड़ रुपए की प्राधिकृत शेयर पूंजी लगाई है। केआरआईएल ने दिसंबर 2009 से कंटेनर ट्रेन का प्रचालन शुरू कर दिया है। इस समय, केआरआईएल के छ: कंटेनर रैक हैं। केआरआईएल रेवाड़ी, मोदीनगर, हिंडौन सिटी और शाहजहांपुर में इन्‍लैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) की स्‍थापना के अग्रिम चरण में है।

3.    जेट्टी टर्मिनल, हजीरा का पुनरुद्धार:

समिति ने हजीरा में अपने निजी जेट्टी टर्मिनल का पुनरुद्धार किया है। कृभको ओमिफ्को यूरिया और अन्‍य उर्वरकों की हैण्‍डलिंग करेगी तथा देश के शेष भागों में निकासी के लिए रेल/सड़क कनेक्विटी का लाभप्रद उपयोग करेगी। 15000 मी.टन क्षमता को ले जाने की क्षमता विकसित की गई है। जेट्टी से निकासी क्षमता लगभग 7000 मी.टन प्रतिदिन है।

कार्पोरेट सामाजिक उत्‍तरदायित्‍व

कृषि आय किसानों की मुख्‍य ताकत है। इनमें से बड़ी संख्‍या में किसान हमारी सहकारी समिति के सदस्‍य हैं। कृभको अपने विशाल समर्पित दल तथा कृषि व्‍यावसायिकों के साथ ही नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकी का स्‍थानांतरण करने वाली अन्‍य गंभीर कंपनियों के साथ कृषक समुदाय की लाभप्रदता में सुधार करने के लिए अन्‍य ग्रामीण कल्‍याण योजनाओं में अपना महत्‍वपूर्ण योगदान दे रही है।

वर्ष 2009-10 के दौरान कृभको ने किसान बैठकों, किसान मेलों, खेत प्रदर्शनों, खेत दिवसों, सहकारी सम्‍मेलनों, समूह चर्चा, विशेष अभियान आदि के लिए 2786 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया है जिससे देशभर के 12.72 लाख किसानों और सहकारी समितियों को लाभ मिला है। कृषि प्रौद्योगिकी स्‍थानांतरण को समर्थन देने के लिए समिति ने किसानों और सहकारी समितियों को विभिन्‍न फसलों पर 6.05 लाख तकनीकी फोल्‍डर भी उपलब्‍ध कराए हैं।

कृभको, कृषि परामर्श केन्‍द्र, जो कृभको भवन, नोएडा का एक उच्‍च प्रौद्योगिकी केन्‍द्र है, कृषि संबंधित समस्‍याओं पर नि:शुल्‍क परामर्श दे रहा है। केन्‍द्र ने माइक्रो-पोषक-तत्‍वों के लिए वैज्ञानिक रूप से एकत्रित 4240 मृदा नमूनों के परीक्षण तथा 15 राज्‍यों से सूक्ष्‍म पोषक-तत्‍वों और सिंचाई जल के 1248 नमूनों का नि:शुल्‍क परीक्षण द्वारा उर्वरक का दक्ष और संतुलित उपयोग करने का भी प्रचार किया है। सिफारिशों सहित परिणामों को किसानों के घरों में इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यम से भेजा गया तथा कृभको की वेबसाइट पर भी परिणाम प्रदर्शित किए गए। परामर्श केन्‍द्र ने किसान हेल्‍पलाइनों के जरिए सामान्‍यत: खेती ने होने पर खेत प्रचालनों और मध्‍यावधि सुधार के लिए प्रयोग हेतु वर्षा, तापमान, सापेक्ष आर्द्रता; मानसून आगमन आदि जैसी मौसम पर नवीनतम जानकारी भी उपलब्‍ध कराई है।

सभी कृषि राज्‍य निदेशकों को चलाए गए शैक्षिणिक कार्यक्रमों और विभिन्‍न मृदा नमूनों में जिलावार पाई गई कमी सहित उनके राज्‍यों से परीक्षित मृदा नमूनों की जांच के बारे में सूचित किया गया था। कृभको ने आईसीएआर, राज्‍य कृषि विश्‍वविद्यालयों, राज्‍य सहकारी संघों के साथ भी अनुबंध किए हैं जिससे नि:शुल्‍क मृदा परीक्षण और प्रौद्योगिकी स्‍थानांतरण किया जा सके जिसको सभी मंचों पर स्‍वीकार किया गया और उसकी सराहना की गई।

आधुनिकीकरण की दिशा में एक कदम के रूप में, कृभको ने किसानों को पारंपरिक औजारों सहित नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकी के बारे में किसानों को सूचना देने के लिए ई-मेल, फोन, कंप्‍यूटर और कृभको वेबसाइट का इस्‍तेमाल करके कृभको किसान हेल्‍पलाइन के जरिए संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) को लगातार बढ़ावा दिया। वेबसाइट पर मासिक कृषि प्रचालनों संबंधी सूचना भी उपलब्‍ध कराई जाती है।

कृभको के लिए सहकारी समिति और ग्रामीण विकास को सुदृढ़ करना हमेशा से ही उच्‍च प्राथमिकता रहा है। इस दिशा में 38 सहकारी समितियों को अपनाया गया है; 209 सहकारी सम्‍मेलनों के जरिए 22525 सहकारी प्रबंधकों को प्रशिक्षित किया गया जिनमें उन्‍हें कृषि उत्‍पादकता में सुधार करने और हमारी कार्पोरेट छवि को बढ़ाने के लिए समिति के उत्‍पादों के उपयोग के बारे में जानकारी दी गई। समिति ने पशुधन और मानवों के लिए वर्षा सिंचित क्षेत्रों के लिए सूक्ष्‍म-सिंचाई प्रणालियों सहित 6 जल सुविधाओं को प्रोन्‍नत किया और एकीकृत ग्रामीण विकास के लिए ग्रामीण खेलकूद शिविर लगाए। उत्‍तराखण्‍ड, हरियाणा, कर्नाटक, मध्‍य प्रदेश, पंजाब, राजस्‍थान, तमिलनाडु से सामान्‍य निकाय प्रतिनिधि समूह (आरजीबी) ने हजीरा का दौरा किया ताकि उन्‍हें उत्‍पाद की गुणवत्‍ता को बनाए रखने के लिए उठाए जाने वाले कदमों से अवगत कराया जा सके। भारत की स्‍वर्ण जयंती के अवसर पर शुरू की गई भण्‍डारण-सह-सामुदायिक केन्‍द्र योजना अभी भी चलाई जा रही है और इसमें 146 स्‍वीकृत केन्‍द्र हैं तथा इनमें से 131 पूर्ण हो चुके हैं तथा इनका पूरा उपयोग किया जा रहा है।

वित्‍तीय वर्ष 2010-11 के दौरान, कृभको ने किसानों और सहकारी समितियों को अपनी सेवाएं देना जारी रखा। नवंबर 2010 तक कुल 1667 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है जिनमें मुख्‍यत: किसान बैठकों, सहकारी सम्‍मेलन, मानव और पशुओं के लिए स्‍वास्‍थ्‍य शिविर, तकनीकी भित्तिचित्र, तकनीकी साहित्‍य मुद्रण और वितरण तथा मृदा परीक्षण अभियान शामिल हैं जिससे 2.20 लाख किसानों को लाभ मिल रहा है। इसके अलावा, 4.36 लाख तकनीकी फसल फोल्डरों का विकास किया गया तथा 13 राज्‍यों के 104 जिलों में पीएच, इलेक्ट्रिक कंडक्टिविटी, व्‍यापक और सूक्ष्‍म पोषक-तत्‍वों की दृष्टि से 5004 मृदा नमूनों का परीक्षण किया गया।

बीज बढ़ोत्‍तरी कार्यक्रम

कृभको ने किसानों को मुख्‍य फसलों की गुणवत्‍ता/प्रमाणित बीजों को उपलब्‍ध कराने के लिए वर्ष 1990-91 में बीज उत्‍पादन कार्यक्रम भी शुरू किया था जिसे किसानों और सहकारी समितियों से काफी उत्‍साहजनक प्रतिक्रिया प्राप्‍त हुई। किसानों को बीज केबीएसके, सहकारी समितियों और विभिन्‍न राज्‍यों में राज्‍य सहकारी परिसंघों के माध्‍यम से उपलब्‍ध कराए जाते हैं। समिति ने 1991-92 में 2928 क्विंटल बीजों का उत्‍पादन वर्ष 2009-10 में बढ़ाकर 2.29 लाख क्विंटल कर दिया है। यह बीजों का अब तक का सर्वाधिक उत्‍पादन रहा है।

  • वित्‍तीय वर्ष 2009-10 के दौरान समिति ने 2.29 हजार क्विंटल बीजों का उत्‍पादन किया है और 2.22 लाख क्विंटल बीजों की बिक्री की है जो शुरू से लेकर अब तक की सर्वाधिक बिक्री है।
  • वित्‍तीय वर्ष 2010-11 के दौरान नवंबर 2010 तक समिति ने 2.35 लाख क्विंटल बीजों का पहले ही उत्‍पादन कर लिया है और 2.32 लाख क्विंटल बीजों की बिक्री की है।
  • ·

जन/कर्मचारी शिकायत निवारण प्रणाली

कृभको में एक जन शिकायत निवारण व्‍यवस्‍था विद्यमान है। जनता द्वारा शिकायतें दर्ज कराने के लिए उनकी सुविधानुसार कार्यालय के स्‍वागत कक्ष में एक शिकायत बॉक्‍स रखा गया है। उप महा प्रबंधक (एचआर), कार्पोरेट कार्यालय को किसी जन शिकायत पर कार्रवाई करने के लिए शिकायत अधिकारी के रूप में विनिर्दिष्‍ट किया गया है। जन शिकायतों के निवारण पर एक तिमाही प्रगति रिपोर्ट उर्वरक विभाग, भारत सरकार को भेजी जा रही है।

अ.जा./अ.ज.जा., भूतपूर्व सैनिक, शारीरिक रूप से विकलांग और अन्‍य पिछड़़ा वर्ग के व्‍यक्तियों को रोजगार (30.11.2010 की स्‍थिति के अनुसार)

अ.जा./अ.ज.जा., अन्‍य पिछड़ा वर्ग और शारीरिक रूप से विकलांग व्‍यक्तियों (पीएचपी) के लिए भर्ती और पदोन्‍नति में आरक्षण के संबंध में दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता है।

कंपनी की नामावली में कुल 2048 कार्मिकों में से 92 कार्मिक अ.जा., 47 अ.ज.जा., 263 अन्‍य पिछड़ा वर्ग, 14 भूतपूर्व सैनिक और 8 पीएचपी हैं।

ग्रामीण विकास ट्रस्‍ट

कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) ने ग्रामीण विकास ट्रस्‍ट (जीवीटी) को एक लाभ अर्जित करने वाले ग्रामीण विकास ट्रस्‍ट के रूप में प्रोत्‍साहित किया है। जीवीटी एक स्‍वतंत्र कानूनी कंपनी के रूप में समाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े ग्रामीण और आदिवासी समुदायों को उनकी आजीविका में सतत् आधार पर सुधार करने के लिए एक कैटेलिस्‍ट के रूप में कार्य करता है। जीवीटी का मुख्‍य उद्देश्‍य विशेषत: संसाधन विहीन और वर्षा सिंचित क्षेत्रों में भागीदारी दृष्टिकोण के जरिए स्‍थानीय और पारंपरिक लोगों को अधिकार प्रदान करना है। ट्रस्‍ट 7 राज्‍यों नामत: पश्‍चिम भारत में मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान, गुजरात तथा पूर्वी भारत में उड़ीसा, झारखण्‍ड, छत्‍तीसगढ़ और पश्‍चिम बंगाल में सुव्‍यवस्थित कार्यालयों तथा दलों के जरिए प्रचालन कर रहा है। इसने हरियाणा, महाराष्‍ट्र, उत्‍तराखण्‍ड और बिहार में अध्‍ययन, मूल्‍यांकन कार्य आदि जैसे अल्‍पावधि कार्य भी शुरू किए हैं।

जीवीटी भागीदारों के रूप में शैक्षिक संस्‍थाओं और समुदायों के साथ कृषि में सहयोगात्‍मक अनुसंधान के क्षेत्र में भी अग्रणी रहा है। जीवीटी और इसकी परियोजनाओं ने भारत सरकार, राज्‍य सरकारों, एनजीओ, अनुसंधान संस्थानों और अंतर्राष्‍ट्रीय संगठनों के साथ घनिष्‍ठ संबंध बनाए हैं ताकि अनुसंधान निष्‍कर्षों और उपयुक्‍त प्रौद्योगिकी का बेहतर प्रचार-प्रसार हो सके जिसका ग्रामीण विकास में काफी महत्‍व है। ईयू तथा शुष्‍क क्षेत्र अध्‍ययन केन्‍द्र (सीएज़ेडएस), बांगोर विश्‍वविद्यालय, ब्रिटेन के साथ भागीदारी चल रही है।

जीवीटी अपनी वाटरशेड परियोजनाओं के जरिए लगभग 70000 हेक्‍टेयर क्षेत्र को उपचार के अंतर्गत लाया है और इसने लक्षित क्षेत्रों में लगभग 200000 परिवारों को कवर किया है। पिछले दशक में भागीदारी और अधिक ग्राहक उन्‍मुख दृष्टिकोण, भागीदारी किस्‍म चयन (पीवीएस) तथा जीवीटी की भागीदारी पौध प्रजनन (पीपीबी) की अवधारणा ने सरकार द्वारा जारी और संस्‍तुत किस्‍मों का उत्‍पादन किया है जो सीमांत क्षेत्रों में किसानों की आवश्‍यकताओं के पूरी तरह अनुकूल हैं। इन किस्‍मों में व्‍यापक सूखा सहने की क्षमता; उच्‍च और अधिक स्थिर उपज; तथा अन्‍य पहलू जैसे शीघ्र परिपक्‍वता, दानों की उच्‍च गुणवत्‍ता, तथा उच्‍च चारा प्राप्‍ति शामिल हैं जो कि किसानों के लिए महत्‍वपूर्ण होते हैं। चूंकि किस्‍मों से उनकी आजीविका में पर्याप्‍त सुधार होता है, अत: किसान उत्‍साहपूर्वक इन उच्‍च अनुकूल किस्‍मों (एचएवी) को अपनाते हैं और अन्‍य किसानों को बीज देते हैं।

जीवीटी प्रमुख एजेंसी के रूप में या एनएआईपी के अंतर्गत वित्‍त-पोषित भागीदार संगठन के रूप में परिसंघ पद्धति में अपने प्रचालन राज्‍यों में 5 कृषि अभिनव परियोजनाओं को प्रायोगिक आधार पर चला रहा है। जीवीटी छोटे किसानों की बागवानी, उन्‍नत कृषि और गृह बगीचों में सब्‍जियों के उत्‍पादन द्वारा वहनीय जीविका का समाधान करने के लिए एनएबीएआरडी के वित्‍त पोषण के माध्‍यम से 14 गृहस्‍थान कृषि परियोजनाओं (डब्‍ल्‍यूएडीआई) को स्‍थापित करने की प्रक्रिया में है। कौशल विकास के क्षेत्र में जीवीटी ने जनजातीय प्रवासियों का कौशल बढ़ाने के द्वारा एक सराहनीय कार्य किया है। इससे उनकी विद्यमान क्षमता उन्‍नत होगी जो उनकी आय में वृद्धि करेगी। जीवीटी को गुजरात सरकार द्वारा दाहोद, गुजरात में एक व्‍यावसायिक केन्‍द्र के साथ एक प्रशिक्षण परियोजना प्रदान की गई है जिसमें 10 वर्षों में 5060 जनजातीय युवकों को निर्माण उद्योग से संबंधित व्‍यवसायों में प्रशिक्षण दिया जाएगा और उनका रोजगार सुनिश्‍चित किया जाएगा।

जीवीटी ने आईआरएमए आणंद, एनआईआरडी, हैदराबाद, डब्‍ल्‍यूएएलएमआई, भोपाल, आईसीआरआईएसएटी, सीएजैडएसयूके, टीईआरआई आदि के साथ कार्यनीतिक संस्‍थागत भागीदारियां विकसित की हैं। देश के विभिन्‍न भागों में गैर-सरकारी संगठनों द्वारा एमएलएसपी की पुनरावृत्‍ति की जा रही है। जीवीटी एफएसडब्‍ल्‍यू में एसटीआई संक्रमण को कम करने के उद्देश्‍य से एचआईवी/एड्स संभावित क्षेत्र में व्‍यापक तौर पर कार्य कर रहा है।

ग्रामीण विकास कार्यकलापों में अपने व्‍यापक अनुभव के आधार पर जीवीटी को आईओसी, एनटीपीसी, आईटीसी, सीएफसीएल आदि जैसे कार्पोरेट द्वारा अपने साथ जोड़ा जा रहा है ताकि उनके सीएसआर कार्यकलापों को बाहरी स्रोत से कराया जा सके। जीवीटी ने राजस्‍थान में सार्वजनिक निजी-सामुदायिक भागीदारी मॉडल के अंतर्गत एक परियोजना शुरू की है जहां राजस्‍थान सरकार, सीएफसीएल और जीवीटी 22 गांवों में व्‍यक्तिगत परिवारों में 715 शौचालयों का निर्माण करने की परियोजना को लागू करेगा और 5 दिवसीय प्रशिक्षण के माध्‍यम से उन्‍नत शौचालयों के निर्माण पर प्रशिक्षित कारीगर संवर्ग बनाएगा। इस परियोजना के अंतर्गत कुल 715 परिवारों को कवर किया गया है।

जीवीटी ने रतलाम (म.प्र.) में पूर्णतया सुविधा सम्‍पन्‍न और आवासीय राष्‍ट्रीय आजीविका संसाधन संस्‍थान प्रारंभ किया है ताकि भागीदारी वाटरशेड विकास और प्रबंधन पर अपने विभिन्‍न पाठ्यक्रमों के माध्‍यम से वहनीय आजीविका कार्यक्रमों पर गुणवत्‍ता आदान, शुष्‍क और अर्ध-शुष्‍क क्षेत्रों में विविध कृषि प्रणालियों का भागीदारी प्रौद्योगिकी विकास, वाणिज्यिक रूप से व्‍यवहार्य स्‍तर पर सूक्ष्‍म–वित्‍त और सूक्ष्‍म-उद्यम के प्रबंधन हेतु समुदाय आधारित संगठनों का विकास, पीआरआई तथा अन्‍य संस्‍थानों का क्षमता विकास किया जा सके जिससे ग्रामीण गैर-कृषि और कृषि आधारित आजीविका दोनों को, बढ़ाया जा सके।

जीवीटी, आईसीएआर द्वारा वित्‍त-पोषित गोड्डा, झारखण्‍ड में एक कृषि विज्ञान केन्‍द्र (केवीके) चला रहा है। इसमें प्रचालन क्षेत्र में उपलब्‍ध विभिन्‍न कृषि प्रणालियों के संवर्धन हेतु कृषि प्रौद्योगिकियों के आकलन, परिष्करण और प्रदर्शन की सुविधाएं हैं। इसमें विभिन्‍न खाद्यान्‍नों, फलों, तिलहनों, वानिकी फसलों और बीज उत्‍पादन पर प्रशिक्षण सुविधा केन्‍द्र भी है। केवीके बॉयोएजेंटों, जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों तथा कार्बनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अन्‍य कार्बनिक खादों के उत्‍पादन पर भी प्रशिक्षण उपलब्‍ध कराने के लिए सुविधा संपन्‍न है।