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एफ आई सी सी के बारे में

एफआईसीसी से संबंधित अतिरिक्‍त जानकारी

 

      उर्वरकों ने मृदा उर्वरता, फसल उत्‍पादकता को बढ़ाने तथा देश की बढ़ती जनसंख्‍या के लिए खाद्यान्‍न मांग को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। भारत की हरित क्रांति की सफलता तथा खाद्यान्‍न उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भर होने का श्रेय मुख्‍यत: उर्वरकों के प्रयोग को जाता है। भारत सरकार लगातार नीतियां कार्यान्वित कर रही है जिनका उद्देश्‍य देश में उचित मूल्‍यों पर उर्वरकों के उत्‍पादन और उपलब्‍धता को बढ़ाना है। निवेश पर उचित प्रतिलाभ सुनिश्चित करने तथा उर्वरक उद्योग के सुदृढ़ विकास एवं वृद्धि के लिए भारत सरकार ने नवम्‍बर 1977 में स्‍वदेशी नाइट्रोजनयुक्‍त उर्वरक इकाइयों के लिए प्रतिधारण मूल्‍य-सह-राजसहायता योजना (आरपीएस) लागू की थी। तत्‍पश्‍चात् इस योजना में फरवरी, 1979 में फॉस्‍फेटयुक्‍त और अन्‍य मिश्रित उर्वरकों तथा 1982 में सिंगल सुपर फॉस्‍फेट (एसएसपी) को भी शामिल किया गया था। अगस्‍त, 1992 से सरकार ने फॉस्‍फेटयुक्‍त और अन्‍य मिश्रित उर्वरकों के मूल्‍यों तथा वितरण को उत्‍तरोत्‍तर नियंत्रणमुक्‍त किया था। तथापि, यूरिया के फार्मगेट मूल्‍यों को सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है जबकि इसके वितरण को 1 अप्रैल, 2003 से आंशिक रूप से नियंत्रणमुक्‍त किया गया है।

 

      प्रतिधारण मूल्‍य योजना ने देश में स्‍वदेशी उत्‍पादन और उनकी खपत को प्रोत्‍साहित किया। व्‍यापक आंतरिक दक्षता तथा वैश्विक प्रतिस्‍पर्धा प्राप्‍त करने के लिए आरपीएस के इकाई विशिष्‍ट दृष्टिकोण के स्‍थान पर 1 अप्रैल, 2003 से समूह आधारित रियायत योजना लागू की गई थी, जिसे नई मूल्‍य-निर्धारण योजना (एनपीएस) कहा जाता है। प्रतिधारण मूल्‍य को प्रशासित और संचलित करने के लिए 1 दिसम्‍बर, 1977 को उर्वरक उद्योग समन्‍वय समिति का मूलरूप से गठन किया गया था। तत्‍पश्‍चात् एनपीएस के अंतर्गत रियायत योजना को चलाने के लिए 13 मार्च, 2003 को इसका पुन: गठन किया गया है।

 

समिति का गठन  

 

समिति में निम्‍नलिखित शामिल हैं:

 

अध्‍यक्ष  

1.    सचिव, उर्वरक विभाग, नई दिल्‍ली

 

सदस्‍य 

1.    सचिव, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्‍ली

2.    सचिव, कृषि और सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्‍ली

3.    सचिव, व्‍यय विभाग, वित्‍त मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्‍ली

4.    सचिव, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्‍ली

5.    अध्‍यक्ष, टैरिफ आयोग, भारत सरकार, नई दिल्‍ली

 

इसके अलावा, समिति में उर्वरक उद्योग के दो प्रतिनिधि भी हैं।

 

वर्तमान में उर्वरक उद्योग का एफआईसीसी में निम्‍नलिखित द्वारा प्रतिनिधित्‍व किया जाता है:

 

(।)    श्री आर.जी. राजन, अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, राष्‍ट्रीय केमिकल्‍स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ), ''प्रियदर्शिनी'', ईस्‍टर्न एक्‍सप्रेस हाइवे, सायन, मुम्‍बई- 400062

 

(।।)   श्री ए.सी. मुथैय्या, अध्‍यक्ष, सदर्न पेट्रोकेमिकल्‍स इंडस्‍ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (स्पिक), 88 माउंट रोड, चेन्‍नै-600032

 

सदस्‍य सचिव 

 

कार्यपालक निदेशक, उर्वरक उद्योग समन्‍वय समिति, उर्वरक विभाग, भारत सरकार, नई दिल्‍ली

 

कार्य 

 

एफआईसीसी का कार्यक्षेत्र और कार्य निम्‍न प्रकार हैं :

 

1.     नाइट्रोजनयुक्‍त उर्वरक(यूरिया) का उत्‍पादन करने वाली इकाइयों के लिए रियायत दरें निर्धारित करना।

2.     नाइट्रोजनयुक्‍त उर्वरक कंपनियों को राजसहायता का भुगतान करने के संबंध में खातों का रखरखाव।

3.     उर्वरक उत्‍पादन करने वाली इकाइयों का निरीक्षण करना।

4.     लागत और अन्‍य तकनीकी कार्यों को शुरू करना।

5.     उत्‍पादन आंकड़ा, लागत तथा अन्‍य सम्‍बंधित सूचना को एकत्र करना तथा विश्‍लेषण करना।

6.     समूह रियायत दरों की समय-समय पर समीक्षा करना तथा इन दरों में जहां-कहीं आवश्‍यक हो, सरकार की पूर्व सहमति से समायोजन करना।

7.     भावी मूल्‍य-निर्धारण अवधियों के लिए समूह रियायत दरों को निर्धारित करने के लिए आवश्‍यक जांच करना।

8.    उर्वरक इकाइयों के लिए आवश्‍यक निवेश की गणना करना तथा आपूर्ति की सिफारिश करना।

9.    परिवहन सूचकांक के आधार पर भाड़ा राजसहायता दरों में वार्षिक वृद्धि/कमी की सिफारिश करना।    

10.   समय-समय पर सरकार द्वारा समिति को सौंपे गये अन्‍य कार्य।

 

संगठन 

 

एफआईसीसी के कार्यालय में पांच प्रभाग अर्थात् लागत मूल्‍यांकन प्रभाग, इनपुट प्रभाग, वित्‍त और लेखा प्रभाग, तकनीकी प्रभाग और प्रशासन प्रभाग शामिल हैं।

 

लागत मूल्‍यांकन प्रभाग विभिन्‍न यूरिया उत्‍पादन इकाइयों की रियायत दरों का त्रैमासिक एवं वार्षिक आधार पर निर्धारण करता है तथा समय-समय पर इनपुट के मूल्‍यों में अंतर के आधार पर उसमें संशोधन करता है। इनपुट प्रभाग परिवहन सूचकांक के आधार पर फर्मगेट से किसानों तक यूरिया के परिवहन हेतु माल भाड़ा दरों में वृद्धि (या कमी) की सिफारिश के लिए वार्षिक कार्रवाई करता है। यह कोयला मंत्रालय के परामर्श से विभिन्‍न कोयला आधारित यूरिया उत्‍पादन इकाइयों को कोयला आवंटित करने के लिए और रेल मंत्रालय के परामर्श से अपेक्षित रेलवे रेकों की उपलब्‍धता के प्रति भी जिम्‍मेदार होता है। वित्‍त और लेखा प्रभाग राजसहायता का भुगतान करने और लेखाओं का रखरखाव करने के लिए जिम्‍मेदार होता है। तकनीकी प्रभाग सभी तकनीकी मामलों जैसे खपत मानदण्‍डों का निर्धारण करने, उत्‍पादन स्‍तर आदि की देखरेख करता है प्रशासन प्रभाग एफआईसीसी के प्रशासन और स्‍थापना से संबंधित सभी मामलों के लिए जिम्‍मेदार है।

 

एफआईसीसी के विभिन्‍न अधिकारियों से संपर्क करने संबंधी विवरण :

फैक्‍स नं. +91-11-26173599

 

पदनाम

अधिकारी का नाम

कार्यालय दूरभाष सं.

आवास दूरभाष सं.

मोबाइल (केवल एसएमएस के लिए)

कार्यपालक निदेशक

श्री सुशील कुमार लोहानी

+91-11-23381294

+91-11-26179965

8860614425

संयुक्‍त निदेशक (ईएण्‍डए)

श्री सुरिन्‍द्र कौर

+91-11-26106817

+91-11-45508762

9911188722

निदेशक (सीई)

श्री गोविंद गोपाल मित्रा

+91-11-26108481

+91-11-47320604

9810767038

संयुक्‍त निदेशक (एएण्‍डआई)

श्री एचसी भनोत

+91-11-26109820

+91-11-28566040

9873767138

संयुक्‍त निदेशक (सीई)

श्री ए.के. पाल

+91-11-26100203

9968280749

9968280749

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